आपकी उंगली साइबर फ्रॉड से बचाएगी, हो गया तो साइबर इंश्योरेंस है ना, फायदे और खर्चे जान लें
Cyber Insurance नाम पढ़ने में भले अजीब लगे लेकिन आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि ये बहुत आसानी से मिलने वाला सुरक्षा कवर है. जो न सिर्फ साइबर खतरों से होने वाले किसी भी वित्तीय नुकसान से कवर देगा बल्कि डेटा रिकवरी, किसी रेगुलेटरी एक्शन या मुकदमेबाजी से होने वाले अन्य संबंधित खर्चों को भी कवर करेगा.
साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी के मामले कम होने का नाम ही नहीं लेते. आए दिन ऑनलाइन ठगी की घटनाएं सामने आती हैं. एक तरीके के बारे में पूरा पता चले उसके पहले ही दूसरा अनोखा तरीका सामने आ जाता है. ओटीपी और लिंक से अलग हटकर YouTube लाइक्स, UPI पेमेंट और पार्सल डिलीवरी के नाम पर ठगी हो रही है. सवाल ये कि ऐसे में क्या करना चाहिए. जवाब है सावधानी और उंगली पर काबू. कहने का मतलब अगर लिंक पर क्लिक नहीं करेंगे तो शायद बचे रहेंगे. मगर फ्रॉड हो जाए तो क्या करें. उपाय है ‘साइबर इंश्योरेंस’.
‘साइबर इंश्योरेंस’ नाम पढ़ने में भले अजीब लगे लेकिन आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि ये बहुत आसानी से मिलने वाला सुरक्षा कवर है. जो न सिर्फ साइबर खतरों से होने वाले किसी भी वित्तीय नुकसान से कवर देगा बल्कि डेटा रिकवरी, किसी रेगुलेटरी एक्शन या मुकदमेबाजी से होने वाले अन्य संबंधित खर्चों को भी कवर करेगा.
साइबर सिक्योरिटी इंश्योरेंस क्या होता है?साइबर इंश्योरेंस या साइबर सिक्योरिटी इंश्योरेंस कस्टमर्स को बैंक अकाउंट की ठगी, फर्जी लेन-देन और इस तरह के दूसरे फर्जीवाड़ों से होने वाले नुकसान की कवरेज प्रदान करता है. इंडस्ट्री में फिलहाल इसके लिए 2 तरह के प्रोडक्ट उपलब्ध हैं.
# पहला, जिसमें कॉर्पोरेट्स के लिए कॉर्पोरेट साइबर लायबिलिटी पॉलिसीज इशू की जाती हैं. मतलब कोई संस्थान या कंपनी अपने कर्मचारियों के लिए और खुद के लिए इंश्योरेंस ले सकते हैं.
# दूसरा है पर्सनल या इंडिविजुअल, माने कि आप और हमारे लिए रिटेल साइबर लायबिलिटी पॉलिसी.
# इसके साथ में एक और सेगमेंट आजकल चलन में आया है. B2B2C, जहां एक कॉर्पोरेट अपने ग्राहकों के लिए पॉलिसी खरीदता है या उन्हें अपने प्लेटफॉर्म या एप्लिकेशन पर इसे खरीदने का ऑफर करता है. मसलन पॉलिसी बाजार जैसे सर्विस प्रोवाइडर.
सारे प्रोडक्ट साइबर अटैक प्रमुख रूप से रैंसमवेयर (धमकी या ब्लैकमेल) और बिजनेस ईमेल और सर्वर के हैक हो जाने पर सेफ़्टी कवर देते हैं. साइबर इंश्योरेंस का मोटा-माटी गुणा समझ लिया. अब गणित मतलब पैसा कितना लगता है वो जान लेते हैं.
2 रुपिया देगा रे बाबा!आगे बढ़ने से पहले एक जरूरी बात. ये चार्जेज सांकेतिक हैं, मतलब हमने समझने के लिए HDFC ERGO की वेबसाइट को खंगाला. देश के तकरीबन सारे बैंक और पॉलिसी प्रदाता ऐसे इंश्योरेंस मुहैया करवाते हैं. आप अपनी सुविधा के अनुसार प्लान ले सकते हैं. वेबसाइट पर इंटरप्रेन्योर से लेकर इंडिविजुअल के लिए प्लान उपलब्ध हैं. अगर इतने से काम नहीं चले तो अपने मन का प्लान भी बना सकते हैं.
साइबर इंश्योरेंस आपको पैसा चोरी होने से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग और सेल्स, सोशल मीडिया ठगी जैसे कई साइबर क्राइम से कवर देता है. जाहिर सी बात है कि कवर जितना ज्यादा होगा, पॉलिसी का पैसा भी उसी हिसाब से लगेगा.
कहने का मतलब जितना गुड़ उतनी मिठास. अब आपने अपने जीवन में मिठास रखनी है, मतलब साइबर ठगी से सेफ़्टी चाहिए तो साइबर इंश्योरेंस प्लान लेने का प्लान बना सकते हैं.
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