"नीतीश BJP के संपर्क में, उनसे मिल जाएंगे"- प्रशांत किशोर ने कहा तो JDU ने ये जवाब दिया
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के जरिए बीजेपी के संपर्क में हैं.
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने 19 अक्टूबर को दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू (JDU) प्रमुख नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बीजेपी के संपर्क में हैं और अगर माहौल बदलता है, तो वो भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिल जाएंगे. हालांकि, जदयू ने इसे निराधार करार दिया और कहा कि भ्रम की स्थिति पैदा करने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
बिहार में पदयात्रा पर निकले किशोर ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा,
'जो लोग ये सोच रहे हैं कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बना रहे हैं, वो ये जानकार चौंक जाएंगे कि वो बीजेपी के संपर्क में बने हुए हैं. वह अपनी पार्टी के सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी के जरिए बीजेपी के टच में हैं.'
उन्होंने आगे कहा,
'लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब ऐसी स्थिति खड़ी होगी, तो वो बीजेपी में वापस जा सकते हैं और उनके साथ काम कर सकते हैं.'
वैसे तो हरिवंश ने इस दावे पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन जदयू ने कहा कि अब नीतीश कुमार कभी भी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे. पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री कुमार ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि वो अपने जीवन में फिर कभी बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएंगे.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक त्यागी ने कहा,
प्रशांत किशोर की पदयात्रा'हम उनके दावों का खंडन करते हैं. नीतीश कुमार 50 साल से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में हैं और प्रशांत किशोर छह महीने से. किशोर ने भ्रम फैलाने के लिए इस तरह की भ्रामक टिप्पणी की है.'
इससे पहले प्रशांत किशोर ने बीते दो अक्टूबर से अपने 'जन सुराज' अभियान के तहत पदयात्रा शुरु की थी. उन्होंने अगले 12 से 15 महीनों में 3,500 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने की बात की है. प्रशांत किशोर ने बिहार के लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए व्यवस्था परिवर्तन की बात कही है.
साल 2018 में प्रशांत किशोर जदयू में शामिल हुए थे. कुछ ही हफ्तों में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था. हालांकि, नीतीश कुमार के साथ तकरार के बाद उन्हें पार्टी से निकाल लिया गया था. प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर बीजेपी को समर्थन देने को लेकर नीतीश कुमार की आलोचना की थी. वो जदयू में 18 महीने से भी कम समय तक टिक पाए थे.
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